यमुना प्राधिकरण में 3000 करोड़ का जमीन घोटाला : कई सफेदपोश नेताओं के नाम आए सामने, स्कैम के लिए भैया-भाभी को बनाया गैंग का सदस्य

ग्रेटर नोएडा : यमुना प्राधिकरण में मास्टर प्लान से बाहर करीब 3,000 करोड़ रुपये की जमीन खरीद घोटाले की जड़ें परत दर-परत उखाड़ी जा रही हैं। इस मामले में अब तक 29 लोगों के खिलाफ सेक्टर बीटा-टू कोतवाली में मुकदमा दर्ज हु। जांच में कई अन्य नाम भी सामने आ रहे हैं। इनमें कई सफेदपोश नेता, उनके नाते-रिश्तेदार, भैया-भतीजे और भाभी तक शामिल हैं।

कैसे दिया गया घोटाले को अंजाम?

घोटालेबाजों ने मास्टर प्लान से बाहर जमीन खरीदने के लिए दो गुमनाम अखबारों में विज्ञापन प्रकाशित कराए थे। ये अखबार केंद्र सरकार से मंजूर नहीं थे और इनका टाइटल भी नहीं था। इन विज्ञापनों का भुगतान प्राधिकरण के खाते से नहीं, बल्कि एक अधिकारी ने अपनी जेब से किया था।

बिजली सब-स्टेशन के लिए जमीन खरीदी का खेल

जहांगीरपुर में 765 KVA के बिजली सब स्टेशन के लिए जमीन खरीदी गई थी। जितनी जमीन की जरूरत थी, उससे अधिक जमीन प्राधिकरण के अधिकारियों ने अपने नाते-रिश्तेदारों को पहले किसानों से खरीदवाई, फिर प्राधिकरण ने इस जमीन को खरीद लिया। मुआवजा 4 गुना की दर से दिया गया।

बेलाना गांव में किसानों से जमीन खरीदी

बेलाना गांव में भी प्राधिकरण के अधिकारियों ने किसानों से सस्ते दरों पर जमीन खरीदी और बाद में यमुना प्राधिकरण से खरीदवा लिया। इस तरह करोड़ों रुपये का मुआवजा उठाया गया। यमुना प्राधिकरण के एक तहसीलदार ने अपने बेटे और पत्नी के नाम पहले किसानों से जमीन खरीदी और बाद में यमुना प्राधिकरण को खरीदवा दी। मुआवजे की राशि महामेधा बैंक में जमा कर दी गई और अगले दिन इसे अन्य खातों में ट्रांसफर कर दिया गया।

तत्कालीन तहसीलदार के खिलाफ होगा एक्शन

इस जमीन घोटाले की एफआईआर यमुना प्राधिकरण के तत्कालीन चेयरमैन डॉक्टर प्रभात कुमार के निर्देश पर दर्ज कराई गई थी। अब इस मामले की जांच एडीसीपी मनीष कुमार मिश्रा कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश सरकार ने इस मामले में शामिल दो तत्कालीन तहसीलदार के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी है। जांच की प्रक्रिया तेजी से चल रही है और अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी भी संभावित है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि जांच का अंत किस दिशा में जाता है और न्यायिक प्रक्रिया कैसे आगे बढ़ती है।

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