मथुरा चुनाव: क्या मुकेश धनगर हेमा मालिनी को हरा सकेंगे? जानिए सबसे नए सियासी समीकरण के बारे में!
लोकसभा चुनाव में मथुरा उत्तर प्रदेश ही नहीं देश की सबसे हाई-प्रोफाइल सीटों में से एक है। विपक्षी गठबंधन की तरफ से विजेंद्र सिंह को उतारने की अटकलों के बीच उनके भाजपा में जाने से इस सीट को लेकर चर्चा और भी बढ़ गई है। अब कांग्रेस ने मुकेश धनगर को हेमा मालिनी के खिलाफ प्रत्याशी बनाया है। जानिए यहां का सियासी समीक्षा। चारों धामों से प्यारा अपना ब्रज धाम। कृष्ण की लीलाओं की इस धरा की रज को छूकर पुण्य पाने की चाहत ऐसी कि साल में 6.50 करोड़ श्रद्धालु यहां आते हैं। कभी वृंदा का वन और हरियाली से भरपूर वृंदावन की तो रंगत तो पूरी तरह बदल चुकी है। वहां बांके बिहारी की एक छवि निहारने के लिए आतुरता बढ़ती ही जा रही है। ऐसे में श्रद्धालुओं की भीड़ के दबाव से वहां की कुंज गलियां कहने लगी हैं कि बस… अब और नहीं। वहां रहने वालों की भी आवाज है कि हमें राहत देने को कुछ कीजिए। अब पिछले 10 साल में बदली एक दूसरी तस्वीर…। श्रद्धालुओं की इतनी बड़ी संख्या का नतीजा है कि वृंदावन के आसपास के गांवों में भी कहीं खाली भूमि नहीं बची है। छटीकरा रोड हो या यमुना एक्सप्रेस वे से वृंदावन को मिलाने वाली सड़क हर जगह मल्टी स्टोरी भवनों के साथ दर्जनों कालोनियां उग चुकी हैं। चंडीगढ़-दिल्ली रोड की तरह विशाल ढाबे और शानदार रेस्त्रां खुल गए हैं। विकास की यह धारा अभी और तेज होगी। वजह है कि बांकेबिहारी के भव्य कारिडोर बनाने को शुरुआत होने वाली है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का वह वाक्य कृष्ण भी अब कहां मानने वाले हैं, जो कृष्ण जन्मभूमि को लेकर बहुत कुछ कहता है। इससे मथुरा में चुनावी हवा और गर्म हो चली है। भाजपा से तीसरी बार जीत को सुपर स्टार हेमा मालिनी मैदान में उतरी हैं। वह उन नेताओं में हैं, जो 75 वर्ष की आयु के बावजूद टिकट पाने में सफल रही हैं। आईएनडीआईए से कांग्रेस ने मुकेश धनगर को प्रत्याशी बनाया है, जो धनगरों को अनुसूचित जाति में शामिल करने के लिए संघर्ष करते रहे हैं। बसपा ने जाट समाज के सुरेश सिंह को महावत बनाकर भेजा है, जो सेवानिवृत्त आइआरएस अधिकारी हैं।
मथुरा सीट पर इस बार 19.29 लाख मतदाता हैं, जो पिछली बार से 1,21,657 ज्यादा हैं। पिछले चुनाव में भाजपा प्रत्याशी हेमा मालिनी ने 6,71,293 वोट पाकर धमाकेदार जीत हासिल की थी। उन्होंने रालोद-बसपा और सपा गठबंधन के प्रत्याशी जयन्त चौधरी (3,77,822 मत) को पराजित किया था। अब रालोद और भाजपा का गठबंधन होने के बाद जयन्त हेमा के लिए प्रचार कर रहे हैं।कांग्रेस के लिए मथुरा प्रदेश की उन सीटों में है, जहां पार्टी प्रत्याशी मानवेंद्र सिंह ने 2004 के चुनाव में जीत हासिल की थी। मुकेश के लिए एक चुनौती यह है कि सहयोगी दल सपा की साइकिल यहां कभी लोकसभा या विधानसभा के लिए नहीं दौड़ी। इसका दर्द अखिलेश यादव को भी रहा है।सपा मथुरा में मजबूती क्यों नहीं पा सकी, यह आझई के लाल सिंह के जवाब से समझिए। वह कहते हैं कि वह सत्ता में थे तो अपराधी कट्टा लेकर चलते थे, ब्रज में यह संस्कृति नहीं है। पुलिस भर्ती की भी सबको पता है। बसपा प्रत्याशी सुरेश सिंह पूर्व में आरएसएस से जुड़े थे। परंतु टिकट के समय नीले खेमे का रुख कर लिया।उनके लिए संगठन से समन्वय करने के लिए भी समय देना पड़ रहा है। बसपा के लिए मांट विधानसभा क्षेत्र अच्छी खबर वाला है, जहां आठ बार विधायक रहे श्यामसुंदर शर्मा की वजह से पार्टी दूसरी जातियों के वोट में भी हिस्सेदारी कर सकेगी।