सपा की राजनीतिक जंग: मुलायम सिंह के बिना राज बब्बर की चुनौती!
लोकसभा चुनाव को लेकर सत्ता का संघर्ष छिड़ा हुआ है। पार्टियां खुद को बेहतर साबित करने के लिए जनता के सामने अपना पक्ष रख रही हैं। हम बात करने जा रहे हैं, उत्तर प्रदेश में सपा की राजनीति की। यहां पर जब-जब मुलायम सिंह के करीबी उनका साथ छोड़कर गए, तब-तब सैफई कुनबे को चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। सियासत के पिछले पन्नों को पलट कर देखें तो कई ऐसे शख्स हैं जिनको स्वर्गीय मुलायम सिंह यादव ने नेता बनाया और यही नेता मुकाम हासिल करने के बाद जब मुलायम सिंह से अलग हुए तो उसका भारी नुकसान सैफई परिवार को उठाना पड़ा। इस कड़ी में बात शुरू करते हैं, आगरा की सियासत से। जनता दल से अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत करने वाले देश के जाने-माने फिल्म अभिनेता राज बब्बर ने मुलायम सिंह से राजनीति के गुर सीखे। दो बार वह समाजवादी पार्टी की टिकट पर आगरा से सांसद चुने गए। 1999 और 2004 में राज बब्बर को मुलायम सिंह यादव ने टिकट देकर आगरा से चुनाव लड़ाया। यह पहला मौका था जब राज बब्बर के जरिए समाजवादी पार्टी आगरा में सियासत की जमीन पर साइकिल दौड़ा पाई थी। दो बार आगरा से सांसद बने राज बब्बर और मुलायम सिंह का 2006 में साथ छूट गया। राजनीतिक सफर में मुलायम के साथी रहे राज बब्बर ने 2009 में फिरोजाबाद की सियासत की जमीन से सीधे-सीधे मुलायम सिंह यादव को चुनौती दी। उन्होंने उनकी पुत्रवधू डिंपल यादव की खिलाफ चुनाव लड़ा। कांग्रेस का उस दौरान कोई वजूद नहीं होने के बाद भी राज बब्बर ने डिंपल यादव को हरा दिया। सैफई परिवार के लिए यह बड़ा झटका था, जब उनको अपनों से ही लड़ना पड़ा और बड़ी पराजय मिली। जबकि राज बब्बर के सैफई परिवार के इतने करीबी रिश्ते थे कि डिंपल यादव बब्बर को चाचा कहा करती थीं। राज बब्बर की दूरी के बाद आगरा में सपा मजबूत नहीं हो पाई।
मुलायम सिंह यादव से राजनीति का पाठ सीखने वाले केंद्रीय मंत्री प्रोफेसर एसपी सिंह बघेल भी मुलायम सिंह यादव का साथ छोड़ गए। प्रोफेसर एसपी सिंह बघेल को मुलायम सिंह यादव ने ही राजनीतिक पहचान दिलाई। प्रोफेसर एसपी सिंह बघेल की जब मुलायम सिंह यादव से ठनी तो वह सैफई परिवार के सबसे बड़े सियासी प्रतिद्वंदी बन गए। सैफई परिवार के खिलाफ चुनावी मैदान में ताल ठोकते रहे। एसपी सिंह बघेल ने 2009 के आम चुनाव में फ़िरोज़ाबाद लोकसभा क्षेत्र से अखिलेश यादव के खिलाफ चुनाव लड़ा तो अखिलेश यादव की जीत का अंतर काफी कम कर दिया। इसकी टीस आज भी अखिलेश यादव को है। बघेल ने टूंडला विधानसभा क्षेत्र से तो अखिलेश यादव को अपने से आगे नहीं निकलने दिया। 2009 के उप चुनाव में बघेल ने मुलायम सिंह यादव की पुत्रवधू डिंपल यादव के खिलाफ चुनाव लड़ा। हालांकि वह चुनाव को जीत नहीं पाए लेकिन उन्होंने डिंपल यादव को भी जीतने नहीं दिया और राज बब्बर की जीत का रास्ता साफ कर दिया। यह दूसरी बड़ी चुनौती एसपी सिंह बघेल से मुलायम सिंह के परिवार को मिली। बघेल मैनपुरी जिले की करहल विधानसभा सीट से भी अखिलेश यादव के खिलाफ चुनाव लड़े। बघेल मुलायम सिंह यादव को आज भी अपना राजनीतिक गुरु मानते हैं लेकिन मुलायम को अपने इस सियासी चेले से ही बार-बार चुनौती मिली।
मुलायम की सुरक्षा में तैनात थे बघेल
उत्तर प्रदेश पुलिस में बतौर सब इंस्पेक्टर के रूप में तैनात रहे एसपी बघेल 1989 में मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्री बनने के बाद उनकी सुरक्षा में शामिल रहे। अपने कामकाज से उन्होंने मुलायम सिंह यादव का भी दिल जीत लिया था। एसपी बघेल से प्रभावित मुलायम सिंह यादव ने उन्हें जलेसर लोकसभा सीट से समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर उतारा। शिवपाल सिंह यादव तो सैफई परिवार के सदस्य हैं। मुलायम सिंह यादव के भाई हैं लेकिन एक वक्त ऐसा भी आया जब शिवपाल यादव अपने परिवार के खिलाफ खड़े हो गए। प्रोफेसर रामगोपाल यादव के पुत्र अक्षय यादव के खिलाफ फिरोजाबाद लोकसभा सीट से उन्होंने 2019 के आम चुनाव में ताल ठोंक दी। 2019 का लोकसभा चुनाव फ़िरोज़ाबाद से भतीजे अक्षय यादव हारे तो उसकी एक सबसे बड़ी वजह चाचा शिवपाल यादव ही रहे। शिवपाल यादव खुद तो नहीं जीत सके लेकिन उन्होंने अक्षय यादव को भी जीतने नहीं दिया। मुलायम सिंह यादव के समधी शिकोहाबाद के पूर्व विधायक हरिओम यादव भी सैफई परिवार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं।